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भैरव अनुष्ठान: क्यों ?

"भैरव अनुष्ठान" का मुख्य उद्देश्य होता है भगवान भैरव की आराधना करके उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करना। यह अनुष्ठान भैरव के विशेष मंत्रों और पूजा विधियों का पालन करके किया जाता है। इसके माध्यम से भक्त अपने जीवन में सुरक्षा, शक्ति, और सफलता की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। भैरव अनुष्ठान के द्वारा व्यक्ति अपनी आध्यात्मिक उन्नति को भी संजीवनी देते हैं और उन्हें अंतर्मुखी शक्ति का अनुभव होता है।

महत्व:

 

  • सुरक्षा और शक्ति: भैरव को बुरी शक्तियों, काले जादू और नकारात्मक ऊर्जाओं से रक्षा करने वाला माना जाता है।
  • विघ्नों का निवारण: भैरव अनुष्ठान करने से विघ्नों को दूर करने और विभिन्न प्रयासों में सफलता प्राप्त करने में मदद मिलती है।
  • आध्यात्मिक विकास: भैरव के आशीर्वाद से भक्त आध्यात्मिक विकास और आंतरिक शक्ति की खोज करते हैं।

अनुष्ठान:

  • पूजा: अनुष्ठान में भैरव की पूजा शामिल होती है, जिसमें विशेष विधियाँ, भेंट और मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। इसमें फूल, फल, धूप, दीपक और कभी-कभी विशेष खाद्य पदार्थ या मिठाइयाँ शामिल होती हैं।
  • मंत्र जाप: भैरव अनुष्ठान में भैरव के मंत्रों का जाप महत्वपूर्ण होता है। इनमें से कुछ प्रमुख मंत्र निम्नलिखित हो सकते हैं:
    • भैरव मंत्र:
  • ॐ कालभैरवाय नमः।

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